भारत का राष्ट्रपति कौन है भारत का राष्ट्रपति: राष्ट्र के मुख्य सेवक

भारत का राष्ट्रपति कौन है भारत के 15वें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं। वे झारखंड की पहली महिला और आदिवासी मुख्यमंत्री थीं। उनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में हुआ था। उन्होंने स्कूली शिक्षा रायरंगपुर में ही प्राप्त की और फिर भुवनेश्वर के महाविद्यालय से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
मुर्मू ने अपना राजनीतिक जीवन 1997 में शुरू किया जब उन्हें रायरंगपुर जिला परिषद की सदस्य के रूप में चुना गया। 2000 में, उन्हें ओडिशा विधानसभा के लिए चुना गया और वे 2009 तक विधायक रहीं। 2000 से 2004 तक, वे ओडिशा सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री थीं। 2004 से 2009 तक, वे ओडिशा सरकार में सामाजिक न्याय, अधिकारिता और जनजाति विकास मंत्री थीं।
2015 में, मुर्मू को झारखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। वे 2017 तक झारखंड की मुख्यमंत्री रहीं।
2022 में, मुर्मू को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति चुनाव जीता।
मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से भारत में एक ऐतिहासिक घटना हुई है। वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं। उनके राष्ट्रपति बनने से देश की आदिवासी आबादी के लिए एक नई उम्मीद जगी है।
मुर्मू ने अपने राष्ट्रपति पद के उद्घाटन भाषण में कहा कि वे देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए काम करेंगी। उन्होंने कहा कि वे सभी भारतीयों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए भी काम करेंगी।
मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से भारत को एक मजबूत और प्रेरणादायक नेता मिला है। वे देश को आगे बढ़ाने और सभी भारतीयों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम करेंगी।
लेख का विस्तार:
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता बिरंची नारायण मुर्मू एक किसान थे और उनकी माँ ओडिशा सरकार में एक शिक्षक थीं।
मुर्मू ने अपनी स्कूली शिक्षा रायरंगपुर में ही प्राप्त की और फिर भुवनेश्वर के महाविद्यालय से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
मुर्मू ने अपना राजनीतिक जीवन 1997 में शुरू किया जब उन्हें रायरंगपुर जिला परिषद की सदस्य के रूप में चुना गया। 2000 में, उन्हें ओडिशा विधानसभा के लिए चुना गया और वे 2009 तक विधायक रहीं। 2000 से 2004 तक, वे ओडिशा सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री थीं। 2004 से 2009 तक, वे ओडिशा सरकार में सामाजिक न्याय, अधिकारिता और जनजाति विकास मंत्री थीं।
2015 में, मुर्मू को झारखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। वे 2017 तक झारखंड की मुख्यमंत्री रहीं।
मुर्मू के राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन एक ऐतिहासिक घटना थी। वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति थीं। उनके नामांकन से देश की आदिवासी आबादी के लिए एक नई उम्मीद जगी।
मुर्मू ने 21 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति चुनाव जीता। उन्होंने 64.03% वोट हासिल किए, जो किसी भी राष्ट्रपति उम्मीदवार द्वारा हासिल किया गया सबसे अधिक वोट है।
मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से भारत को एक मजबूत और प्रेरणादायक नेता मिला है। वे देश को आगे बढ़ाने और सभी भारतीयों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम करेंगी।
मुर्मू के राष्ट्रपति पद के लिए चुनने के कुछ कारण:
- वे एक आदिवासी महिला हैं, जो भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करेगा।
- वे एक मजबूत नेता हैं, जो देश को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं।
- वे एक अनुभवी राजनेता हैं, जिनके पास
प्रस्तावना: भारत गणराज्य, एक बड़ा और विविध देश है जिसका नेतृत्व एक महत्वपूर्ण पद के ध्वारा किया जाता है – राष्ट्रपति. यह पद न केवल सिर्फ़ भारत के नायकों और दिग्गज व्यक्तियों के लिए बल्कि समूचे देश के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है. इस लेख में, हम जानेंगे कि भारत के राष्ट्रपति कौन होते हैं, उनके कार्यभाव, और इस पद का महत्व।
राष्ट्रपति की भूमिका: भारतीय संविधान के प्रारंभिक धाराओं में राष्ट्रपति की भूमिका को स्पष्ट रूप से बताया गया है। भारतीय गणराज्य के अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति का कार्यभाव होता है, जो एक लोकप्रिय माध्यम के माध्यम से चुने जाते हैं। यह पद देश की संघीय व्यवस्था के सिर मानने जाते हैं और उनका कार्यक्षेत्र विशेष रूप से सिविल सेवा, सैन्य शक्ति, और विचारकों से संबंधित होता है।
राष्ट्रपति का चयन: राष्ट्रपति का चयन भारतीय संविधान के अनुसार एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का चयन चुनावी प्रतियोगिता के माध्यम से होता है, जिसमें देश के नागरिकों का वोट द्वारा चुना जाता है। इस प्रक्रिया में भारत के विश्वसनीय नागरिक उम्मीदवारों को राष्ट्रपति बनने का मौका मिलता है।
राष्ट्रपति के कार्यभाव: राष्ट्रपति का कार्यक्षेत्र विशेष रूप से संविधान और भारतीय सरकार के संरचनात्मक हिस्सों के साथ संबंधित होता है। उनके कुछ मुख्य कार्यभाव निम्नलिखित हैं:
- संसद का संचालन: राष्ट्रपति संसद की बैठकों का आयोजन करते हैं और उनकी समय समय पर बुलाते हैं।
- यात्रा और संदेश: राष्ट्रपति देश और विदेश में आधिकारिक यात्राएँ करते हैं और विदेशी दूतों को स्वागत करते हैं।
- संविधानिक फैसलों का समीक्षा: राष्ट्रपति के पास संविधानिक भारत का राष्ट्रपति कौन है फैसलों को अनुमोदित करने या विरोध करने का अधिकार होता है।
- क़ानूनों का समीक्षा: राष्ट्रपति के पास विभिन्न क़ानूनों को अनुमोदित करने या विरोध करने का अधिकार होता है।
- राष्ट्रपति के आर्म्स कॉन्ट्रोल: राष्ट्रपति के पास रक्षा बलों का कंट्रोल होता है और वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भी भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रपति का महत्व: राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के अनुसार महत्वपूर्ण है और उन्हें देश के गणराज्य के मुख्य सेवक के रूप में देखा जाता है। वे देश की आधिकारिक प्रतिनिधि होते हैं और उनका कार्यक्षेत्र संविधान और राजनीतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्धारित होता है।
राष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे देश के अध्यक्ष के रूप में भारत का प्रतीक होते हैं और उनके आलंब में देश के संविधानिक मामले, रक्षा, और विदेशी संबंध होते हैं। वे संविधान का पालन करते हैं और देश के सर्वोच्च क़ानूनी प्राधिकृति के रूप में कार्रवाई करते हैं।
राष्ट्रपति का चयन प्रक्रिया: राष्ट्रपति का चयन भारतीय संविधान के अनुसार चुनावी प्रक्रिया के माध्यम से होता है। राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया को “राष्ट्रपति चुनाव” कहा जाता है और इसमें देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नामित प्रतिनिधियों का भी भाग होता है।
राष्ट्रपति चुनाव का आयोजन प्रत्येक पांच साल में एक बार होता है। चुनावी प्रक्रिया में विभिन्न दल और गठबंधन अपने उम्मीदवारों को प्रस्तुत करते हैं और फिर देश के नागरिकों का वोट द्वारा राष्ट्रपति का चयन होता है। इस प्रक्रिया में प्रत्येक नागरिक का वोट बड़ी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह उनके प्रिय उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का मौका देने का फैसला करता है।
राष्ट्रपति की योग्यता: राष्ट्रपति के पद के लिए योग्यता के कुछ महत्वपूर्ण मापदंड होते हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को निम्नलिखित परिप्रेक्ष्यों के अनुसार चयन किया जाता है:
- नागरिकता: राष्ट्रपति को भारतीय नागरिक होना चाहिए। वे किसी भी दूसरे देश की नागरिकता का धारक नहीं हो सकते हैं।
- उम्र: राष्ट्रपति की न्यूनतम उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए।
- योग्यता: राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार को उच्च शिक्षा और अच्छी चरित्र का होना चाहिए।
- विधायिका के सदस्य न होना: राष्ट्रपति विधायिका के किसी सदस्य का होना नहीं चाहिए, ताकि वे निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्रवाई कर सकें।
- मान्यता: राष्ट्रपति को संविधान की प्राधिकृति के अनुसार मान्यता दी जाती है।
राष्ट्रपति के कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र: राष्ट्रपति के कार्यक्षेत्र के रूप में वे विभिन्न क्षेत्रों में अपना कार्य करते हैं। इसमें से कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र निम्नलिखित हैं:
- संविधान का पालन: राष्ट्रपति की मुख्य भूमिका संविधान के पालन की है, और वे संविधानिक मामलों को मान्यता देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि उनका पालन हो रहा है।
- विदेशी संबंध: राष्ट्रपति विदेशी राजकान्याओं और राष्ट्रों के नेताओं के साथ बिना राजनैतिक भूमिका के बिना संवाद करते हैं। यह भारत के अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को मजबूती देता है।
- रक्षा क्षेत्र: राष्ट्रपति के पास रक्षा बलों का कंट्रोल होता है और वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भी भूमिका निभाते हैं।
- सामाजिक कार्य: राष्ट्रपति अक्सर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यक्रमों और पर्वों का हिस्सा बनते हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रमोट करने का उद्देश्य रखते हैं।
राष्ट्रपति का कार्यकाल: राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है, और उन्हें एक ही कार्यकाल के दौरान केवल एक बार चुना जा सकता है। पांच साल के कार्यकाल के बाद, वे पुनः चुना जा सकते हैं, परन्तु उन्हें प्राधिकृति नहीं होती है।
राष्ट्रपति का कार्यकाल निष्पक्षीयता और संविधान के पालन के साथ गुजरता है, और वे देश के सुरक्षा और सामाजिक सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण क़दम उठाते हैं।
समापन: राष्ट्रपति भारतीय संविधान के अनुसार एक महत्वपूर्ण पद के रूप में हैं, जो देश की संविधानिक और सामाजिक संरचना को मजबूत करने में मदद करते हैं। उनका कार्यक्षेत्र विशेष रूप से संविधान, रक्षा, और संवाद में होता है, और वे देश के मुख्य सेवक के रूप में देखे जाते हैं। राष्ट्रपति का चयन देश के नागरिकों द्वारा होता है और इसके परिणामस्वरूप वे जनमत से चुने जाते हैं, जिससे भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को मिलता है।